ग्लोबल क्रिप्टो एक्सचेंज Binance ने World Liberty Financial (WLFI) के नए स्टेबलकॉइन USD1 को अपने प्लेटफॉर्म पर लिस्ट करने की घोषणा की है। USD1 को अमेरिकन डॉलर से 1:1 रेशियो में जोड़ा गया है और इसे एक ऑप्शनल डिजिटल डॉलर के रूप में प्रेजेंट किया जा रहा है। इस लिस्टिंग से न केवल इसकी ग्लोबल पहुँच में इज़ाफा होगा, बल्कि भारत जैसे बड़े देश में भी इसकी पकड़ मजबूत होगी, जहाँ Binance पहले से ही एक प्रमुख और रिलायबल प्लेटफॉर्म है।
World Liberty Financial का USD1 एक फिएट-बैक्ड Stablecoin है, जिसे मार्च 2025 में World Liberty Financial द्वारा लॉन्च किया गया था। इस फिनटेक कंपनी के पॉलिटिकल संबंध भी चर्चा का विषय हैं, क्योंकि इसके साथ अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump और उनके परिवार का नाम जुड़ा हुआ है। खुद Trump इस प्रोजेक्ट के “Chief Crypto Advocate” हैं, जबकि उनके बेटे इसमें “Web3 Ambassadors” की भूमिका निभा रहे हैं।
USD1 को BitGo Trust Company के ज़रिए लॉन्च और मैनेज किया जाता है, जो अमेरिका में एक रेगुलेटेड ट्रस्ट इंस्टीट्यूटशन है। यह टोकन कैश, शॉर्ट-टर्म यू.एस. ट्रेजरी और डॉलर डिपॉजिट्स से सपोर्टेड है। हालांकि इसकी ऑडिट रिपोर्ट रेगुलरली की जाती है, लेकिन पूरी ट्रांसपेरेंसी अब तक पब्लिक नहीं की गई है। फिर भी, मई 2025 तक USD1 का मार्केट कैप $2.1 बिलियन पार कर चुका है और यह दुनिया का सातवां सबसे बड़ा स्टेबलकॉइन बन गया है।
Binance पर USD1 की लिस्टिंग का भारतीय यूज़र्स पर असर
मेरे अनुभव के अनुसार Binance एक विश्वसनीय प्लेटफार्म है और भारत में इसकी स्ट्रांग प्रेजेंस के कारण यह लिस्टिंग खास मायने रखती है। क्योंकि लाखों भारतीय क्रिप्टो यूज़र्स Binance के ज़रिए इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग करते हैं और ऐसे में USD1 की अवेलेबलिटी अब भारतीय क्रिप्टो यूज़र्स को भी एक नया और सेफ डिजिटल डॉलर ऑप्शन प्रदान करेगी, जो कि ट्रेडिंग, डिसेंट्रलाइज़्ड फाइनेंस (DeFi) और ग्लोबल पेमेंट्स में उपयोग किया जा सकता है।
फी-फ्री मिंटिंग (बिना किसी फ़ीस के टोकन बनाना)
इंस्टीट्यूशनल-ग्रेड कस्टडी
क्रॉस-चेन एक्सपैंशन प्लान (Chainlink प्रोटोकॉल के माध्यम से)
ये सभी विशेषताएं इसे Tether (USDT) और USD Coin (USDC) जैसे बड़े स्टेबलकॉइन्स के मुकाबले इसे एक स्ट्रांग कॉम्पिटिटर बनाती हैं। साथ ही, अबू धाबी की कंपनी MGX द्वारा किया गया $2 बिलियन का इन्वेस्टमेंट भी इसकी रिलायबलिटी को बढ़ाता है।
USD1 की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ी है, लेकिन इसके पॉलिटिकल जुड़ाव ने अमेरिकी राजनीतिक गलियारों में चिंता भी पैदा की है। कई सीनेट डेमोक्रेट्स ने Trump Family की भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका में Stablecoin Regulation (जैसे कि GENIUS Act) को लेकर बहस जारी है। वहीं WLFI ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि USD1 सभी अमेरिकन रूल्स को फॉलो करता है, जिनमें KYC (Know Your Customer) और AML (Anti Money Laundering) शामिल हैं।
Binance पर USD1 की लिस्टिंग भारतीय क्रिप्टो मार्केट के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। इससे भारतीय यूज़र्स को एक नया, सेफ और ग्लोबली एक्सेप्टेबल स्टेबलकॉइन अवेलेबल होगा, जिसे वे ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट के अलावा डिसेंट्रलाइज़्ड ऐप्स (dApps) और पेमेंट सिस्टम्स में भी उपयोग कर सकेंगे। इसके इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट, टेक्निकल फीचर्स और बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, USD1 आने वाले टाइम में Tether और USDC जैसे बड़े नामों को चैलेंज दे सकता है। इस लिस्टिंग के साथ, यह देखना इंट्रेस्टिंग होगा कि क्या USD1 इस गति को बनाए रख पाता है और क्या यह ग्लोबल डिजिटल फाइनेंस के नक्शे पर एक स्थायी जगह बना पाता है।
यह भी पढ़िए: Bitcoin Pizza Day पर BTC का All Time High, माइलस्टोन क्रिएटसाक्षी मोदी एक स्किल्ड क्रिप्टो कंटेंट राइटर हैं, जिनका बैकग्राउंड जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में है। वह ब्लॉकचेन, Web3 और डिजिटल एसेट्स जैसे कॉम्प्लेक्स टॉपिक्स को आसान और क्लियर भाषा में एक्सप्लेन करने में माहिर हैं। साक्षी करीब एक साल से क्रिप्टो इंडस्ट्री में SEO-ऑप्टिमाइज्ड आर्टिकल्स, ब्लॉग्स और न्यूज स्टोरीज़ लिख रही हैं, जिनमें टेक्निकल इनसाइट और क्रिएटिविटी का बैलेंस होता है।
उनका फोकस हमेशा ऑथेंटिक सोर्सेस और डेटा-बेस्ड रिसर्च पर रहता है, जिससे उनका कंटेंट भरोसेमंद और इनफॉर्मेटिव बनता है। साक्षी की राइटिंग स्टाइल आसान शब्दों में डीप नॉलेज देने पर टिकी है, जिससे नए और प्रोफेशनल दोनों तरह के रीडर्स को फायदा होता है।
तेजी से बदलती क्रिप्टो दुनिया में वह खुद को एक ट्रस्टेड और ग्रोइंग वॉइस के रूप में स्थापित कर रही हैं।
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